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इतनी भीगी आँख हमारी, खुश्क हुआ आँखों का पानी। विरह

इतनी भीगी आँख हमारी, खुश्क हुआ आँखों का पानी।
विरह व्यथा की गाथा है यह,जो शब्दों में न जाये बखानी।।
जन्म जन्म के साथी थे,सुख दुख साथ निभाये थे ।
जीवन का आधार बने थे,अब बन गई एक करुण कहानी।।
उनके साये में चलना सीखा, हँसना सीखा, रोना सीखा।
बीच राह में छोड़ चले वह,तन्हा रह गई यह जिंदगानी।।

©Shubham Bhardwaj
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