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वो आकर पास मेरे जला देता है मेरी सांसों की सिगड़ी ;

वो आकर पास मेरे जला देता है मेरी सांसों की सिगड़ी ;
फिर चुपचाप बिछा कर चला जाता है आहों की लकड़ी ! #आहों #की #लकडी
वो आकर पास मेरे जला देता है मेरी सांसों की सिगड़ी ;
फिर चुपचाप बिछा कर चला जाता है आहों की लकड़ी ! #आहों #की #लकडी