मुश्किलों से लड़ा और हालात से कभी कभी अपनों से ज़लील होकर निकला अभी अभी जोश मुझमें भी था और नाराज़ भी बहुत खामोश होकर बैठ गया खयालात से अभी अभी शायर - बाबू कुरैशी #इत्तेफाक