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रिश्तों को अपने मतलब की दुकान समझ, एहसास को अपने

रिश्तों को  अपने मतलब की दुकान समझ,
एहसास को  अपने झूठ की  ज़बान समझ, 
कुछ लोग, अपना एक  स्वांग रचा करते हैं,
एक ख़याली झूठ से, सच से बचा करते हैं।
ख़ुद के गिरेवाँ में,अपना अक्स मिलता नहीं,
किसी मेहरबाँ में,अपना शख़्स दिखता नहीं, 
किसी के हालात को,हँसने का मौका समझ, 
अपने कदमों को ही,आहटों सा धोखा समझ,
कुछ लोग, अपना एक  स्वांग  रचा करते हैं,
एक ख़याली  झूठ से, सच से  बचा करते हैं।  🎀 Challenge-237 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 10 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।
रिश्तों को  अपने मतलब की दुकान समझ,
एहसास को  अपने झूठ की  ज़बान समझ, 
कुछ लोग, अपना एक  स्वांग रचा करते हैं,
एक ख़याली झूठ से, सच से बचा करते हैं।
ख़ुद के गिरेवाँ में,अपना अक्स मिलता नहीं,
किसी मेहरबाँ में,अपना शख़्स दिखता नहीं, 
किसी के हालात को,हँसने का मौका समझ, 
अपने कदमों को ही,आहटों सा धोखा समझ,
कुछ लोग, अपना एक  स्वांग  रचा करते हैं,
एक ख़याली  झूठ से, सच से  बचा करते हैं।  🎀 Challenge-237 #collabwithकोराकाग़ज़

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