बचपन से बस एक ही चीज चलती है, अभी ये कर ले पढ़ ले कुछ बन ले, बड़े हो जाए कुछ कर जाएं, फिर बड़े होके होता है कि, सबके लिए कुछ अच्छा सा कर ले, मां पा को खुशियां दे ले, भाई को सेट कर ले बहन की शादी करवा ले, थोड़े पैसे किसी अचानक जरूरत के लिए बचा ले, इस बार नही अगले महीने अपने लिए कुछ ले लेंगे, अभी नहीं आगे कुछ देख लेंगे, एक दिन हम ये सब करके अपने लिए जी लेंगे, सिर्फ खुद के लिए वक्त निकाल के, कुछ पसंद का अपनी ले लेंगे कहीं दूर चल लेंगे, और शायद बस यही सोच सोच के जिन्दगी बिता देते हैं, शायद अधिकतर लड़के एक दिन अपने लिए जिएंगे, इसी आस में बैठे बैठे जिन्दगी भी खो देते हैं, पर कहा हमे ही जाता है अक्सर तुम लोगो के मजे है, तुम्हे सहना ही कहां कुछ पड़ता है...🙄😒 #शिवेन्द्र नाथ गुप्ता 'शिव' #कविता_शिव_की_कलम_से ©Shivendra Gupta 'शिव' #boat