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सर से चादर बदन से क़बा ले गई, ज़िन्दगी हम फ़क़ीरो

सर से चादर बदन से क़बा ले गई, 
ज़िन्दगी हम फ़क़ीरों से क्या ले गई..!!

 मेरी मुठ्ठी में सूखे हुये फूल थे, 
ख़ुशबुओं को उड़ा कर हवा ले गई..!!

 हम तो काग़ज़ थे अश्कों से भीगे हुये, 
क्यों चिराग़ों की लौ तक हवा ले गई..!!  क़बा : कपड़े
#bashirbadr
#yqdidihindipoetry
सर से चादर बदन से क़बा ले गई, 
ज़िन्दगी हम फ़क़ीरों से क्या ले गई..!!

 मेरी मुठ्ठी में सूखे हुये फूल थे, 
ख़ुशबुओं को उड़ा कर हवा ले गई..!!

 हम तो काग़ज़ थे अश्कों से भीगे हुये, 
क्यों चिराग़ों की लौ तक हवा ले गई..!!  क़बा : कपड़े
#bashirbadr
#yqdidihindipoetry