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बचपन में खेलती थी जिन्दंगी, आज एक खेल हो गई है जिं

बचपन में खेलती थी जिन्दंगी,
आज एक खेल हो गई है जिंदगी!
दब जाते है सपने जिम्मेदारियों के बोझ में,
सुलझाता हुं इस उलझन को हर रोज मैं!
चेहरे ख़ुशी कहा मिलती है इस दुनिया के शोर में,
जो मिला करती थी बचपन के दौर में!!
     Life used to play in childhood, today life has become a game! Dreams get buried in the burden of responsibilities, I solve this confusion everyday! Where are the faces of happiness found in the noise of this world, which used to be found in childhood.
बचपन में खेलती थी जिन्दंगी,
आज एक खेल हो गई है जिंदगी!
दब जाते है सपने जिम्मेदारियों के बोझ में,
सुलझाता हुं इस उलझन को हर रोज मैं!
चेहरे ख़ुशी कहा मिलती है इस दुनिया के शोर में,
जो मिला करती थी बचपन के दौर में!!
     Life used to play in childhood, today life has become a game! Dreams get buried in the burden of responsibilities, I solve this confusion everyday! Where are the faces of happiness found in the noise of this world, which used to be found in childhood.