ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं, तेरा होना भी नहीं और तिरा कहलाना भी... -मुनव्वर राना #NojotoQuote ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं, तेरा होना भी नहीं और तिरा कहलाना भी... हर बार की तरह इस बार भी मुनव्वर जी पर आ रुकते हैं... कितना दर्दनाक होता है उस असलियत को क़ुबूल कर पाना जिसके सपने बस से कभी आपकी रूह काँप उठा करती थी...एक ऐसी सच्चाई जो आपके सामने तो है, पर आप उसे देख नहीं पा रहे या देख तो सकते हैं पर अपनाना नहीं चाहते, क्योंकि कहीं न कहीं वो सच आपकी ज़िन्दगी के उस वक़्त को याद कराता है जो या तो बेहद बेहतरीन था या बेहद डरावना... क्योंकि एक का अब ना होना और दूसरे का हो चुका होना, दोनों उन सपनों जैसा है, जो बचपन में दिखने पर भी बुढापे तक याद रहते हैं...दादी के सुनाए उन किस्सों जैसे जिनमे मौजूद परियों को हम खुद में महसूस किया करते थे, ये जानते हुए भी कि कहीं न कहीं ये महज़ एक कहानी ही है...