भिंडी की सब्जी (Caption) मैं : (लगभग झुँझलाते हुए) माँ, फिर से भिंडी की सब्जी और फिर से अजीब सा स्वाद। मैं नहीं खाऊँगी आज खाना। माँ : (उतने ही धैर्य और प्यार से) आज खा लो किसी तरह गुड़िया मेरी। और कोई सब्जी थी नहीं ना कोई बाजार गया, आगे से नहीं बनाऊँगी। मैं हठी माँ का लाड़ देखकर और नाराज़ हो गयी। "नहीं मुझे नहीं खाना, आप सब खाओ" माँ : (बहुत कोशिश की फिर हारकर) आलू की सब्जी बना दे रही हूँ, फिर खाओगी ना ?