Nojoto: Largest Storytelling Platform

एहसास के मयखाने में, वक़्त के नाज़ुक होंठो पर

एहसास  के  मयखाने में, वक़्त  के  नाज़ुक होंठो पर
दो दिन मसर्रत याद रही, दो रोज़ बाद सब भूल गए।  खुशियों का कहाँ लंबा ठिकाना होता है
उन्हें मेरा घर जल्द छोड़कर जाना होता है..! ©

#kumaarsthought #kumaaronzindagi #ख़ुशी #हँसी

#मसर्रत - ख़ुशी /Happiness
एहसास  के  मयखाने में, वक़्त  के  नाज़ुक होंठो पर
दो दिन मसर्रत याद रही, दो रोज़ बाद सब भूल गए।  खुशियों का कहाँ लंबा ठिकाना होता है
उन्हें मेरा घर जल्द छोड़कर जाना होता है..! ©

#kumaarsthought #kumaaronzindagi #ख़ुशी #हँसी

#मसर्रत - ख़ुशी /Happiness