अपनी सोच के क़ैदी हम भागना दुश्वार है, इन सलाखों की गिरफ़्त पीड़ा अपरंपार है اا अश्व की तेज़ी धरी रही सभी देवता प्रमाण हैं, चाल काल की बोल पड़ी सोच में रफ़्तार है اا आज़ादी बेमतलब है मेरे अंदर ही ज़िंदान है, तड़प मुझे बता रही कै़दी में अब भी प्राण है اا अपना लिया इस दर्द को क़ैद को हर मर्ज़ को, इसे छोड़ क्या जाएंगे ये मकां मेरा घर द्वार है اا ज़िंदान - जेल अपनी सोच के क़ैदी हम... #क़ैदी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqquotes #yqlife #yqdiary