पेज-89 और उस निर्मल हृदय की पुकार क्या होगी शायद यही कि - " हे परमपिता अपने माता पिता के दिये संस्कारों की नींव पर आज अपने शीशमहल की पहली ईंट रखने जा रही हूं, मुझमें इतना सामर्थ्य देना कि में इस महल को तुम्हारा मंदिर बना सकूं.. उस कोमल हृदय ने मन ही मन आराधना की - शेष कैप्शन में. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी "जय जय गिरिराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी॥ जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनी दुति गाता॥