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#पत्थर_गवाही_देंगे

#पत्थर_गवाही_देंगे                                                      
माचिस है या शिवाला, ये सच बता ही देंगे।                         
पूछेगी जब अदालत, पत्थर गवाही देंगे।                            
 हम जोड़ने के कायल,तुम तोड़ने में माहिर।                       
 मेहमान तुमको माना,और तुमने हमको काफिर।                   
 बस यह बता दो, खंजर क्यों पीठ में उतारा।                       
क्यों सोमनाथ तोड़ा, मथुरा को क्यों उजाड़ा।                     
 शंकर का जुर्म क्या था, कान्हा ने क्या किया था।                  
        वनवास राम जी को, बाबर ने क्यों दिया था।                                
     तेरह सौ साल हमने, यही सोचकर गुजारे।                                 
     क्यों गर्दने उतारी, क्यों फूंके घर हमारे।                                     
        सारी जवाबदेही तय होगी धीरे-धीरे,हर-हर का नाद होगा।               
                  गंगा नदी के तीरे,सोया हुआ सनातन चैतन्य है सजग है।                           
वो वक्त कुछ अलग था, ये वक्त कुछ अलग है।                        
कब्रों से खींच के हम, लाएंगे सच तुम्हारे                             
         आएंगे कटघरे में औरंगजेब सारे।                                                 
      सारा हिसाब एक दिन जिल्ले इलाही देंगे।।                                 
 पूछेगी जब अदालत पत्थर गवाही देंगे, पत्थर गवाही देंगे।
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©#maxicandragon #पत्थर_गवाही_देंगे                                                      माचिस है या शिवाला, ये सच बता ही देंगे।                         पूछेगी जब अदालत, पत्थर गवाही देंगे।                             हम जोड़ने के कायल,तुम तोड़ने में माहिर।                        मेहमान तुमको माना,और तुमने हमको काफिर।                    बस यह बता दो, खंजर क्यों पीठ में उतारा।                       क्यों सोमनाथ तोड़ा, मथुरा को क्यों उजाड़ा।                      शंकर का जुर्म क्या था, कान्हा ने क्या किया था।                    वनवास राम जी को, बाबर ने क्यों दिया था।                                  तेरह सौ साल हमने, यही सोचकर गुजारे।                                   क्यों गर्दने उतारी, क्यों फूंके घर हमारे।                                     सारी जवाबदेही तय होगी धीरे-धीरे,हर-हर का नाद होगा।               गंगा नदी के तीरे,सोया हुआ सनातन चैतन्य है सजग है।                           वो वक्त कुछ अलग था, ये वक्त कुछ अलग है।                        कब्रों से खींच के हम, लाएंगे सच तुम्हारे                             आएंगे कटघरे में औरंगजेब सारे।                                                 सारा हिसाब एक दिन जिल्ले इलाही देंगे।।                                  पूछेगी जब अदालत पत्थर गवाही देंगे, पत्थर गवाही देंगे।

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#पत्थर_गवाही_देंगे                                                      
माचिस है या शिवाला, ये सच बता ही देंगे।                         
पूछेगी जब अदालत, पत्थर गवाही देंगे।                            
 हम जोड़ने के कायल,तुम तोड़ने में माहिर।                       
 मेहमान तुमको माना,और तुमने हमको काफिर।                   
 बस यह बता दो, खंजर क्यों पीठ में उतारा।                       
क्यों सोमनाथ तोड़ा, मथुरा को क्यों उजाड़ा।                     
 शंकर का जुर्म क्या था, कान्हा ने क्या किया था।                  
        वनवास राम जी को, बाबर ने क्यों दिया था।                                
     तेरह सौ साल हमने, यही सोचकर गुजारे।                                 
     क्यों गर्दने उतारी, क्यों फूंके घर हमारे।                                     
        सारी जवाबदेही तय होगी धीरे-धीरे,हर-हर का नाद होगा।               
                  गंगा नदी के तीरे,सोया हुआ सनातन चैतन्य है सजग है।                           
वो वक्त कुछ अलग था, ये वक्त कुछ अलग है।                        
कब्रों से खींच के हम, लाएंगे सच तुम्हारे                             
         आएंगे कटघरे में औरंगजेब सारे।                                                 
      सारा हिसाब एक दिन जिल्ले इलाही देंगे।।                                 
 पूछेगी जब अदालत पत्थर गवाही देंगे, पत्थर गवाही देंगे।
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©#maxicandragon #पत्थर_गवाही_देंगे                                                      माचिस है या शिवाला, ये सच बता ही देंगे।                         पूछेगी जब अदालत, पत्थर गवाही देंगे।                             हम जोड़ने के कायल,तुम तोड़ने में माहिर।                        मेहमान तुमको माना,और तुमने हमको काफिर।                    बस यह बता दो, खंजर क्यों पीठ में उतारा।                       क्यों सोमनाथ तोड़ा, मथुरा को क्यों उजाड़ा।                      शंकर का जुर्म क्या था, कान्हा ने क्या किया था।                    वनवास राम जी को, बाबर ने क्यों दिया था।                                  तेरह सौ साल हमने, यही सोचकर गुजारे।                                   क्यों गर्दने उतारी, क्यों फूंके घर हमारे।                                     सारी जवाबदेही तय होगी धीरे-धीरे,हर-हर का नाद होगा।               गंगा नदी के तीरे,सोया हुआ सनातन चैतन्य है सजग है।                           वो वक्त कुछ अलग था, ये वक्त कुछ अलग है।                        कब्रों से खींच के हम, लाएंगे सच तुम्हारे                             आएंगे कटघरे में औरंगजेब सारे।                                                 सारा हिसाब एक दिन जिल्ले इलाही देंगे।।                                  पूछेगी जब अदालत पत्थर गवाही देंगे, पत्थर गवाही देंगे।

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