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रुह सिहर रही तन‌ पर ठहर रही, हवा छूकर आयी है शायद,

रुह सिहर रही
तन‌ पर ठहर रही,
हवा छूकर आयी है शायद,
शायद उसकी जुल्फो़ं को।
Sunsilk जैसी  खुशबू 
हवा में बिखर रही।

©ऋतुराज पपनै #sunsilk

#girl
रुह सिहर रही
तन‌ पर ठहर रही,
हवा छूकर आयी है शायद,
शायद उसकी जुल्फो़ं को।
Sunsilk जैसी  खुशबू 
हवा में बिखर रही।

©ऋतुराज पपनै #sunsilk

#girl