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कासे कहूँ मैं बात जिया की, निंदिया नदारद याद पिय

कासे  कहूँ  मैं बात जिया की,
निंदिया नदारद याद पिया की, 

रात     निगोरी    बैरन   मोरी, 
दर्द   बढाए   मोरे   हिया  की, 

तड़पे  जल  बिन ऐसे मछली, 
राम बिना  जो हाल सिया की, 

विचलित मन बेचैन  फिरत हैं, 
मिलनातुर है शलभ दिया की, 

बरसे  लोर  कोर  दृग  सूजत, 
देत गवाही  नित तकिया की,

हृदय   पुकार  पुकार  बुलावे,
चैन न आबत दिन रतिया की, 

'गुंजन' मन  में  कृष्ण बिराजे, 
खेलत  फाग  रंग  रसिया  की,
   --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #कासे कहूँ मैं बात जिया की#
कासे  कहूँ  मैं बात जिया की,
निंदिया नदारद याद पिया की, 

रात     निगोरी    बैरन   मोरी, 
दर्द   बढाए   मोरे   हिया  की, 

तड़पे  जल  बिन ऐसे मछली, 
राम बिना  जो हाल सिया की, 

विचलित मन बेचैन  फिरत हैं, 
मिलनातुर है शलभ दिया की, 

बरसे  लोर  कोर  दृग  सूजत, 
देत गवाही  नित तकिया की,

हृदय   पुकार  पुकार  बुलावे,
चैन न आबत दिन रतिया की, 

'गुंजन' मन  में  कृष्ण बिराजे, 
खेलत  फाग  रंग  रसिया  की,
   --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #कासे कहूँ मैं बात जिया की#