उनके रंगो में रंग न पायें, तो बुरे हैं हम l ज़माने से अलग नजर आयें, तो बुरे हैं हम l आरजू हुस्न की थी, हमें अपना बनाने की, सजदे में सर न झुकायें, तो बुरे हैं हम ll ऐसी चाहतों में दिल तलबगार क्यों करूँ l दिखावे पर किसी के जां निसार क्यों करूँ l ज़िन्होने हसरतों को ही समझा प्यार का मतलब, ऐसे मतलबी दिल से, मैं सच्चा प्यार क्यों करूँ ll ये इल्ज़ाम अगर उन पर लगायेंं, तो बुरे हैं हम l हकीकत से रूबरू करायें, तो बुरे हैं हम l आरज़ू हुस्न की थी, हमें अपना बनाने की, सजदे में सर न झुकायें , तो बुरे हैं हम ll #Anil_kr....✍️@Selfwritten उनके रंगो में रंग न पायें, तो बुरे हैं हम l ज़माने से अलग नजर आयें, तो बुरे हैं हम l आरजू हुस्न की थी, हमें अपना बनाने की, सजदे में सर न झुकायें, तो बुरे हैं हम ll ऐसी चाहतों में दिल तलबगार क्यों करूँ l दिखावे पर किसी के जां निसार क्यों करूँ l