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नहीं कोई वाकिफ कितने दर्द लिए चलता हूं। हर सुबह टू

नहीं कोई वाकिफ कितने दर्द लिए चलता हूं।
हर सुबह टूटता हूं जब आईना देखता हूं।
खुशी से चलता हूं , हंस के मिलता हूं।
ऐसे ही जाने रोज़ कितनों को 'दगा' देता हूं।

©Mr. StrAngerous
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mrstrangerous1760

Harry

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