नारी :- अस्तित्व हूँ सबका मैं,पर हूँ अस्तित्व विहीन सी आजकल पूजनीय हूँ मैं, पर हूँ 'वासना' की नजरों में कैंद आजकल। भूख मिटाने का सामान नहीं मैं, नोंच दी जाती आजकल समाज की रस्मों में उलझी, छीन ली स्वतंत्रता आजकल ।। #restzone #rzलेखकसमूह #rztask490 #अल्फाज_ए_कृष्णा