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की हाल- ए- दिल बयां कर के हम पछताए बहुत उन्होंने द

की हाल- ए- दिल बयां कर के हम पछताए बहुत
उन्होंने दूर बहुत किया जब हम पास आए बहुत
झगड़े, शैतानियां ,नादानियां होती तो कोई मसला नहीं था
गलत हूं! यह बोल - बोल उन्होंने सताए बहुत...!!

यह दिल भी तो मेरी तरह खुदगर्ज ही निकला
जब-जब दरवाजे लगाए ..हमने खटखटाए बहुत
यह सिलसिला भी तो रुकने का नाम नहीं ले रहा
कितने जवाब... सवालों से हटाए बहुत..,!!


इस दिल की खता की यह दिल बन बैठा
उनके पत्थर भरे शब्दों से टकराए बहुत
हम भी थे पत्थर मगर उसके दर्द ने तोड़ा
इस दर्द में कई आशू हमने मिलाएं बहुत..!!

हम बंध कर भी खुले वह खुलकर भी बंधे
इन साजिशों ने हंसाए..... रुलाए बहुत
सोचती हूं कि चुप रह कर सारा मसला ही खत्म कर दूं
पर उनकी आंखों ने भी इश्क है जताए बहुत..!!



जो हकीकत है मेरी वह कल उनके भी रहेंगे
यह चीख- चीख कर उनसे हम बताएं बहुत
नामंजूरी की सीढ़ियों पर गलत के वो सारे पत्थर
भारी था मगर हमने दिल में अब बसाए  बहुत


कि तुम गुहार देना हम भी सुनकर चुप रह जाएंगे
एक समझदार ने समझदारी समझाएं हैं बहुत
नादानियां के हक में हमारी जिंदगी ही नहीं
हम वह छांव जो खुद से शर्माए ....बहुत..!!

©Gudiya Gupta (kavyatri).....
  #हाल-ए-दिल बयां करके पछताए बहुत

#हाल-ए-दिल बयां करके पछताए बहुत #शायरी

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