सब कुछ भूलकर लौट जाने को मन चाहता है, नफरतों भरी दुनिया को छोड़ जाने को मन चाहता है। मानव ही मानव का दुश्मन हो जिस जहान में, उस जहान को भूल जाने को मन चाहता है। फिजा में प्रेम और मोहब्बत का गला घोंटने वालों को, सारे जहां की बद्दुआ देने को मन चाहता है। इंसानियत क्या होती है जिन्हें नहीं है पता, उन जालिमों का अस्तित्व मिटाने का दिल चाहता है। सब कुछ भूलकर लौट जाने को मन चाहता है, नफरतों भरी दुनिया को छोड़ जाने को मन चाहता है। ✍ मेरे विचार... #कोरोना वायरस