तुम्हें लिखूं कविताओं में या कहानियों में महज कल्पना तुम हो नहीं सकती और ये गुस्ताखी ख्वाबो में तुम्हे लाने की ये इजाजत हो नही सकती तू यादों के पन्नों में जो कहीं ठहर सी जाए मुश्किल ज़िन्दगी में मेरा जीना हो जाए कभी नींदों के परे चलकर मेरे जीवन में जो तू आए मैं और तुम हो सामने और लफ़्ज़ एक भी ना कह पाएँ तुम कहो या ना कहो दिल की बात हम इतने भी जाहिल नहीं जो जज़्बात न समझ पाएँ। #confession