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रात कभी कभी सोने नहीं देती। हजारों उलझने आती है मन

रात कभी कभी सोने नहीं देती।
हजारों उलझने आती है मन में।।
एक तस्वीर भी पूरी होने नहीं देती।
जाने कितने सवाल आते है मन में।।
कायनात सारी सो चुकी होती।
जवाब ढूंढती रहती मन में।।
खामोशी लफ्ज़ भी दफन कर देती।
चुप रोती रहती मन में।।
किसी से कुछ कहूं तो,
 गुनहगार बन जाती।
के दिन भर की उलझने लेकर 
सिसकती रहती रात में।।

©chahat रात की खामोशी
रात कभी कभी सोने नहीं देती।
हजारों उलझने आती है मन में।।
एक तस्वीर भी पूरी होने नहीं देती।
जाने कितने सवाल आते है मन में।।
कायनात सारी सो चुकी होती।
जवाब ढूंढती रहती मन में।।
खामोशी लफ्ज़ भी दफन कर देती।
चुप रोती रहती मन में।।
किसी से कुछ कहूं तो,
 गुनहगार बन जाती।
के दिन भर की उलझने लेकर 
सिसकती रहती रात में।।

©chahat रात की खामोशी
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