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कोरोना एक बिमारी, विपदा भयो भारी। 222 11

कोरोना  एक  बिमारी,  विपदा  भयो  भारी।
222      11   122       112     12     22     
कुछ भी  समझ  ना आये, कैसी  महामारी।।
11    2   111    2    22    22    1222
कैसी  महामारी,  जग  को  करत   परेशान।
22     1222       11    2   111     1221
सारा  जगत खोजे, शीघ्र इसका  समाधान।।
22      111   22     21   112     1221
कह मधुकर कविराय, दुख में कभी ना रोना।
11   1111   1121     11   2  12   2  22
खुशी  के  पल  होंगे,  नहीं  होगा  कोरोना।।
12     2    11   22     12    22    222  -----------------------------------------------
कुंडलिया छंद की परिभाषा
———————————------------ 
–कुंडलिया छंद दोहा और रोला छंद से मिलकर बनता है।इसमें छह पंक्तियां होती हैं।पहले दो पंक्ति दोहा छंद की और आगे की चार पंक्ति रोला छंद की होते हैं।दोहा छंद का चौथा चरण रोला छंद की शुरुआत करता है।यह छंद जिस शब्द या शब्दसमूह से शुरू होता है,उसी शब्द पर समाप्त होता है।

दोहा+रोला=कुंडलिया

दोहा छंद
कोरोना  एक  बिमारी,  विपदा  भयो  भारी।
222      11   122       112     12     22     
कुछ भी  समझ  ना आये, कैसी  महामारी।।
11    2   111    2    22    22    1222
कैसी  महामारी,  जग  को  करत   परेशान।
22     1222       11    2   111     1221
सारा  जगत खोजे, शीघ्र इसका  समाधान।।
22      111   22     21   112     1221
कह मधुकर कविराय, दुख में कभी ना रोना।
11   1111   1121     11   2  12   2  22
खुशी  के  पल  होंगे,  नहीं  होगा  कोरोना।।
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कुंडलिया छंद की परिभाषा
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–कुंडलिया छंद दोहा और रोला छंद से मिलकर बनता है।इसमें छह पंक्तियां होती हैं।पहले दो पंक्ति दोहा छंद की और आगे की चार पंक्ति रोला छंद की होते हैं।दोहा छंद का चौथा चरण रोला छंद की शुरुआत करता है।यह छंद जिस शब्द या शब्दसमूह से शुरू होता है,उसी शब्द पर समाप्त होता है।

दोहा+रोला=कुंडलिया

दोहा छंद