उम्मीदें बहुत थी उनसे यह उल्टा हुआ,उलझती गयी हर बात जो भी था सुलझा हुआ।। फुल खिलने को जो भी बेताब थे,सुबह हुयी तो मिले सब मुरझा हुआ।। ©गजेन्द्र सिंह गज्जी #उम्मीदे ना पाले