छोड़ दिया मैंने भी अब उन गलियों में जाना... जहां कभी तेरा आना जाना हुआ करता था, कर दिया उन यादों को भी तवाह , जिनसे आसुओं का सैलाब , आंखों में उमड़ा करता था... नहीं आता तुझ पर रहम अब मुझे, जैसे पहले तेरे हर दर्द पर खुदा से , दुआओं का सिलसिला हुआ करता था... छोड़ दिया मैने अब तेरी तस्वीर को निहारना... जिस तस्वीर को मैंने अपना खुदा समझ रखा था, तेरे हर तोहफे को छूना अब तो पाप लगता है.. इतना गिर गए हो तुम की.. नज़रों से उठाना नामुमकिन लगता है... अब ना आना कभी सामने मेरे .. ये जो चेहरा है तुम्हारा ... मुझे अब अनजान और फरेबी सा लगता है...(सरस.k) छोड़ दिया मैंने....