क्या खता थी हमारी अतित .... बेहतरीन सपने,दिल के अल्फाज़ एक अतित बन गया..... प्यार का हर एक पैगाम आपकी और खिचता है हमको, रुह हमारी बीते अतित पैं रोती है, क्या वो जमाना था, आपके हुसन पैं हम मरते है, आज वही अतित दिल रुलाता है, चेहरे मैं आपके चांद देखते रहे हम, जनाब साहब आज चांद देखकर भी रोते है हम....... हमने जस्बातों पे लगाम रख दिया, क्या करे अतित ने दिल को तोड दिया. मंजिल की और कदम हमने उठाया, क्या साहब अतित हमारे कदम बहकाए तो. शैमी ओझा "लब्ज" अतित .... बेहतरीन सपने,दिल के अल्फाज़ एक अतित बन गया..... प्यार का हर एक पैगाम आपकी और खिचता है हमको, रुह हमारी बीते अतित पैं रोती है,