Zindagi. (2020) आजकल यही सोच दिल में आती है...... ज़िन्दगी क्यूं हमें झंझोड रही है। क्यूं हर पल एक कड़वा सच बनता जा रहा है।। जो भी सामने आता है....बिखर सा जाता है। पूरे जहां का शोर कानों में गूंज रहा है और मजबूरियां जैसे सखी हो रही हैं। ख्वाहिशें अब नजर आती नहीं और वक़्त पांव से आगे भाग रहा है। ये अजीब वक़्त ना जाने कब तक और चलेगा। ना जाने कब कांपते दिलों का सूरज ढलेगा। रातें बस खौंफ में पिघली जा रही है। ये वक़्त ना जाने क्यूं सबकुछ रोंदने की फिराक में है। महसूस करने को जैसे सिर्फ दर्द साथ में है। शायद कोई गलती हुई थी इंसानियत से इसीलिए हर ज़र्रा बस बिखर जाने को है। माफ़ कर ए ज़िन्दगी ये जख्म नासूर हो रहे हैं। तेरे इस सैलाब में बस बेकसूर खो रहे हैं। तेरे इस सैलाब में बस बेकसूर खो रहे हैैं........... Zindagi. (2020) आजकल यही सोच दिल में आती है...... ज़िन्दगी क्यूं हमें झंझोड रही है। क्यूं हर पल एक कड़वा सच बनता जा रहा है।। जो भी सामने आता है....बिखर सा जाता है।