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सरस्वती वंदना प्रकृति - राजस्थानी करूँ छू परणाम थ

सरस्वती वंदना प्रकृति - राजस्थानी

करूँ छू परणाम थने , ओ मां शारदे
दे दे अस्यो बरदान , जीवण ने तार दे

ज्ञान को म्हूँ दीयो जळाऊँ
सुबे - शाम थने मनाऊँ 
नुंवा - नुंवा सबदा स्यूँ करूँ छू थारी आरती 
 ओ मां भारती ... ओ मां भारती
 
अेक हाथ म्ह माळा साजे , दोय हाथ म्ह बीणा
गँवारा ने ज्ञान दान दे , कर दे छै परवीणा
राजहंस री करे सँवारी , पुष्कर म्ह बिराजती
ओ माँ भारती ... ओ माँ भारती 


कळम ने असी चाळ दे माँ
करम ने अस्यो ढाळ दे माँ 
स्याही ने अस्यो रंग दे बरमाणी
अेक - अेक मुद्दा पे, जावे रंग डारती 
ओ माँ भारती .. ओ माँ भारती

दिलीप सिंह हाड़ा "हरप्रीत शशांक"
कोटा, राजस्थान सरस्वती वंदना प्रकृति - राजस्थानी

करूँ छू परणाम थने , ओ मां शारदे
दे दे अस्यो बरदान , जीवण ने तार दे

ज्ञान को म्हूँ दीयो जळाऊँ
सुबे - शाम थने मनाऊँ 
नुंवा - नुंवा सबदा स्यूँ करूँ छू थारी आरती
सरस्वती वंदना प्रकृति - राजस्थानी

करूँ छू परणाम थने , ओ मां शारदे
दे दे अस्यो बरदान , जीवण ने तार दे

ज्ञान को म्हूँ दीयो जळाऊँ
सुबे - शाम थने मनाऊँ 
नुंवा - नुंवा सबदा स्यूँ करूँ छू थारी आरती 
 ओ मां भारती ... ओ मां भारती
 
अेक हाथ म्ह माळा साजे , दोय हाथ म्ह बीणा
गँवारा ने ज्ञान दान दे , कर दे छै परवीणा
राजहंस री करे सँवारी , पुष्कर म्ह बिराजती
ओ माँ भारती ... ओ माँ भारती 


कळम ने असी चाळ दे माँ
करम ने अस्यो ढाळ दे माँ 
स्याही ने अस्यो रंग दे बरमाणी
अेक - अेक मुद्दा पे, जावे रंग डारती 
ओ माँ भारती .. ओ माँ भारती

दिलीप सिंह हाड़ा "हरप्रीत शशांक"
कोटा, राजस्थान सरस्वती वंदना प्रकृति - राजस्थानी

करूँ छू परणाम थने , ओ मां शारदे
दे दे अस्यो बरदान , जीवण ने तार दे

ज्ञान को म्हूँ दीयो जळाऊँ
सुबे - शाम थने मनाऊँ 
नुंवा - नुंवा सबदा स्यूँ करूँ छू थारी आरती