क्यों न ऐसा बदलाव लाएं जहाँ मर्द खुलकर अपनी भावनाएं बयां कर सके मन की बात वो आसानी से कह सके खुलकर हँसे और खुलकर रो भी सके सब कुछ मन में दबाकर है जीते चलो अब खुलकर जीने का उन्हें भी दे मौका गलत कहते है सब कि मर्द को दर्द नहीं होता चलो मिलकर लाए अब बदलाव खुलकर जीने का उन्हे भी दे मौका ! ©Shruti Gupta continued....