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सुनो💕 कई बार आसां नहीं होता तुम्हारे लिए लिख पान

सुनो💕
कई बार आसां नहीं होता 
तुम्हारे लिए लिख पाना,
या यूं कहूँ की तुम्हें चंद
शब्दों में समेट पाना,
वैसे तो हज़ार ख़्याल मन में आते हैं 
जिन्हें मैं तुम्हारे नाम पर बुनती हूँ
और केवल तुमसे ही मैं साझां करती हूँ
अपने दिल का हाल बयां करती हूँ 
पर हर बात कही नहीं जा सकती
क्योंकि वो समझने के लिए होती
या यूं कहूँ 
वो महसूस करने के लिए बनी होती
हाँ पूछोगे अगर मुझसे कभी तुम
तो हर बार मैं तुमसे यही कहूंगी
सब कह देने पर सुकँ,
तो बस तुम्हारे साथ ही पाती हूँ
तुमसे बिन कहे मैं 
सचमूच नहीं रह पाती हूँ
इसलिए चुप हो कर भी 
मैं तुम्हें ही तकती रहूँगी
शिक्वे, शिकायत हो या प्रेम की बातें
अब मैं केवल नज़रो से ही करूंगी,
हाँ सुनो मैं उलझी हुई हूँ आज भी तुमसे,
और आगे भी उलझना ही पसंद करूंगी
पर अब मैं मौन रहकर ही तुम्हारा इंतजार करूंगी,
हाँ मैं तुम्हें अब मुझे समझने का थोड़ा वक्त दूँगी।।

-तुम्हारी_fluffyteddy🧸

©रोली रस्तोगी | ~a_girl_inkings_her_emotions सुनो🐨💕
कई बार आसां नहीं होता 
तुम्हारे लिए लिख पाना,
या यूं कहूँ की तुम्हें चंद
शब्दों में समेट पाना,
वैसे तो हज़ार ख़्याल मन में आते हैं 
जिन्हें मैं तुम्हारे नाम पर बुनती हूँ
और केवल तुमसे ही मैं साझां करती हूँ
सुनो💕
कई बार आसां नहीं होता 
तुम्हारे लिए लिख पाना,
या यूं कहूँ की तुम्हें चंद
शब्दों में समेट पाना,
वैसे तो हज़ार ख़्याल मन में आते हैं 
जिन्हें मैं तुम्हारे नाम पर बुनती हूँ
और केवल तुमसे ही मैं साझां करती हूँ
अपने दिल का हाल बयां करती हूँ 
पर हर बात कही नहीं जा सकती
क्योंकि वो समझने के लिए होती
या यूं कहूँ 
वो महसूस करने के लिए बनी होती
हाँ पूछोगे अगर मुझसे कभी तुम
तो हर बार मैं तुमसे यही कहूंगी
सब कह देने पर सुकँ,
तो बस तुम्हारे साथ ही पाती हूँ
तुमसे बिन कहे मैं 
सचमूच नहीं रह पाती हूँ
इसलिए चुप हो कर भी 
मैं तुम्हें ही तकती रहूँगी
शिक्वे, शिकायत हो या प्रेम की बातें
अब मैं केवल नज़रो से ही करूंगी,
हाँ सुनो मैं उलझी हुई हूँ आज भी तुमसे,
और आगे भी उलझना ही पसंद करूंगी
पर अब मैं मौन रहकर ही तुम्हारा इंतजार करूंगी,
हाँ मैं तुम्हें अब मुझे समझने का थोड़ा वक्त दूँगी।।

-तुम्हारी_fluffyteddy🧸

©रोली रस्तोगी | ~a_girl_inkings_her_emotions सुनो🐨💕
कई बार आसां नहीं होता 
तुम्हारे लिए लिख पाना,
या यूं कहूँ की तुम्हें चंद
शब्दों में समेट पाना,
वैसे तो हज़ार ख़्याल मन में आते हैं 
जिन्हें मैं तुम्हारे नाम पर बुनती हूँ
और केवल तुमसे ही मैं साझां करती हूँ