अगर सोचा होता एक दफा तो कितना अच्छा होता, पर जीवन का दस्तूर है अक्सर गलती करके सोचते हैं हमसब, फिर पछताते हैं कुछ दिन फिर धीरे धीरे सिख जाते है की कोई बात नहीं होगई थी गलती एक दिन, पर फिर गलतियाँ भी अक्सर दोहरतें तकलीफ जिस बात से होती है बस उसी बात से फिर चोट खाते हैं, ऐसे करते करते जीवन में अक्सर कितना कुछ गवाते हैं, पर आदत है हमारी बिना गवाये कुछ सिख ही जो नहीं पाते हैं, फिर कहते है एक रोज बैठे बैठे अगर सोचा होता एक दफा तो कितना अच्छा होता... एक सुंदर #collab रचना का सार..📖 की ओर से। #स्नेह_के_साथी #mywritingmywords #mywritingmythoughts #कितनाअच्छाहोता #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi