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"शशांक" तुम हो कितने निर्मल शशांक! तुम हो बिल्कु

"शशांक"

 तुम हो कितने निर्मल शशांक!
तुम हो बिल्कुल भोले मृगांक!
कोई कहे चन्दा मामा तुमको
कोई पुकारे चौदहवीं का चाँद।
तुम तिल-तिल घटते
तिल-तिल बढ़ते।
हो सोलह कलाओं के कलानिधि शशांक!
निशा काल तुम हिम समान
तुम ही हो रजनीपति महान
 तुम हो राका के ईश सदा
तुम पूरण दिखते यदा कदा।
तुम आते सदा अँधेरों में
सुधि लेने विपदा के घेरों में।
 जीव जन्तु सब सो जाते हैं
तुम्हरे ही पावन पहरों में।
तुम हो कितने निर्मल शशांक!
तुम हो बिल्कुल भोले मृगांक!

~●आशीष●द्विवेदी●

©Bazirao Ashish .         "शशांक"
तुम हो कितने निर्मल शशांक!
तुम हो बिल्कुल भोले मृगांक!
कोई कहे चन्दा मामा तुमको
कोई पुकारे चौदहवीं का चाँद।
तुम तिल-तिल घटते
तिल-तिल बढ़ते।
हो सोलह कलाओं के कलानिधि शशांक!
"शशांक"

 तुम हो कितने निर्मल शशांक!
तुम हो बिल्कुल भोले मृगांक!
कोई कहे चन्दा मामा तुमको
कोई पुकारे चौदहवीं का चाँद।
तुम तिल-तिल घटते
तिल-तिल बढ़ते।
हो सोलह कलाओं के कलानिधि शशांक!
निशा काल तुम हिम समान
तुम ही हो रजनीपति महान
 तुम हो राका के ईश सदा
तुम पूरण दिखते यदा कदा।
तुम आते सदा अँधेरों में
सुधि लेने विपदा के घेरों में।
 जीव जन्तु सब सो जाते हैं
तुम्हरे ही पावन पहरों में।
तुम हो कितने निर्मल शशांक!
तुम हो बिल्कुल भोले मृगांक!

~●आशीष●द्विवेदी●

©Bazirao Ashish .         "शशांक"
तुम हो कितने निर्मल शशांक!
तुम हो बिल्कुल भोले मृगांक!
कोई कहे चन्दा मामा तुमको
कोई पुकारे चौदहवीं का चाँद।
तुम तिल-तिल घटते
तिल-तिल बढ़ते।
हो सोलह कलाओं के कलानिधि शशांक!