अजीब सा रिवाज़ चल पड़ा है, जिसे पनाह दो वही बगावत पे खड़ा है, मुशाफिर कौन नही है इस ज़हा में, हाथ पकड़कर चलना सिखाया था जिसने, वही आज आश्रम में पड़ा है। खुद की इच्छा मारकर जिसने, हर त्यौहार पे नये लिबास पहनाये थे, एक वक्त का खर्चा कम करके, हर शौक पूरा कराये थे, बड़ी मेहनत और जतन से एक-एक पाई जोड़कर, जिसने भविष्य संवारा था, उसे अनपढ़ कहके आज घर से निकाला था, भला सुकून की नींद वो माँ बाप कैसे सोए होंगे, जो खुद खाने से पहले बेटे को खिलाये होंगे, आश्रम में रहना उन्हें तनिक भी न खलता, गर बेटे की खैरियत का सन्देशा हर रोज मिलता। साँस थमने लगती तो दुआ करता, सब कुछ बेटे की जीवन में मंगल सोचता और इक दिन अलविदा कह गया आश्रम की चारदीवारी में, अंतिम वक्त में एक सस्ता कफ्न भी न लिया। ©Pradeep Sargam💐💐 Roshni Bano Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #Nojoto #nojotonews #pradeepsargam #Oldpeople Nilesh Samatiya Nikhilkumar Patidar Pragati Jain Anshu writer Vasudha Uttam