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कोई सीमा नहीं... हे मानव.... कैप्शन में पढ़ें...

कोई सीमा नहीं...
हे मानव....



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मुनेश शर्मा मेरी✍️🌈 कोई सीमा नहीं...
हे मानव...
तेरे तेज़ की
सूर्य से ओज़ की
धरा से धैर्य की
समुद्र-सी गहराई की
आकाश-सी ऊँचाई की
पर्वत से ठहराव की
कोई सीमा नहीं...
हे मानव....



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मुनेश शर्मा मेरी✍️🌈 कोई सीमा नहीं...
हे मानव...
तेरे तेज़ की
सूर्य से ओज़ की
धरा से धैर्य की
समुद्र-सी गहराई की
आकाश-सी ऊँचाई की
पर्वत से ठहराव की