प्रकृति की ख़ामोशी, अपने आप में कहती कहानी है, आने वाले किसी विनाशकारी प्रलय की निशानी है। कुछ भी हो प्रकृति हर हाल में, अपना संतुलन बनाती है, मानवीय भूल के कारण, ये अपना रौद्र रूप दिखाती है। प्राकृतिक संपदाओं का संरक्षण, हर हाल में करना होगा, वरना ख़ामियाजा भुगतने को, हमें तैयार रहना होगा। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-138 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।