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अंधेरा अपने ही साये में दो कदम चली बस मैं और आ पहु

अंधेरा अपने ही साये में
दो कदम चली बस मैं और आ पहुँची सराय में
वो किसी आशियाने का ना होना बहुत खला
हाँ ये तो है लेकिन इतना भी नसीब में था मिरे
ज़्यादा क्या मांगूं ज़िन्दगी से आखिर 
ज़्यादा लालच होती है बुरी बला
फिर भी ढूंढती हूँ हाथों की लकीरों में
वो एक लकीर हो जिस पर चल कर मैं आ पहुँचूँ किनारे पर...
आसमान के नीचे इंतेज़ार करती रही मैं
कि पका हुआ कोई तो ख्वाब आकर गिरेगा... देर से ही सही मगर
समझ नहीं आता हँसू या रोऊँ मंजर पर
एक बस पाओं के नीचे की ज़मीन कहने को तो मेरी है ख्वाब कहाँ उगाऊँ ... है वो भी बंजर पर।  #गुमहोजाताहै #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #yqbaba #yqquotes #yqhindi
अंधेरा अपने ही साये में
दो कदम चली बस मैं और आ पहुँची सराय में
वो किसी आशियाने का ना होना बहुत खला
हाँ ये तो है लेकिन इतना भी नसीब में था मिरे
ज़्यादा क्या मांगूं ज़िन्दगी से आखिर 
ज़्यादा लालच होती है बुरी बला
फिर भी ढूंढती हूँ हाथों की लकीरों में
वो एक लकीर हो जिस पर चल कर मैं आ पहुँचूँ किनारे पर...
आसमान के नीचे इंतेज़ार करती रही मैं
कि पका हुआ कोई तो ख्वाब आकर गिरेगा... देर से ही सही मगर
समझ नहीं आता हँसू या रोऊँ मंजर पर
एक बस पाओं के नीचे की ज़मीन कहने को तो मेरी है ख्वाब कहाँ उगाऊँ ... है वो भी बंजर पर।  #गुमहोजाताहै #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
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