यूहीं फडफडाता हूँ मे गगन मे उड जाने को, कोई ज्ञान समझें तो कोई काला कौआ, जल जाने को है पंख मेरे जमाने के तापमान से, घाँव देकर यू तो बहुत हाथ आगे आए, मुझे फुसलाने को.. तीर मारकर फिर मुझसे ही पूछे कहीं ...........।..