घर पर रहते रहते तुमसे मिलने को जी करता है तुम्हारे उन मनमोहक बातों को सुनने का जी करता है तुम कुछ भी करो अब तुमसे मिले बिना रहा नही जाता है जिधर भी देखते है,हमको तो वही काशी ही नजर आता है "अभिषेक मिश्र" काशी