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दूर कहीं पहाड़ों के दरम्यां, सुबह जागती होगी रेल क

दूर कहीं पहाड़ों के दरम्यां, 
सुबह जागती होगी रेल की सीटी से, 
दोपहर ज़रा अलसाई सी 
सुस्ताती होगी पुराने किले के खंडहर में, 
शाम का धुआँ दूर तक उठता तो होगा, 
रात कहीं दीये की रोशनी से 
रोशन होती तो होगी,
शायद कोई मालगुड़ी
 पहाड़ों के दरम्यां 
आज भी बसा हो.....
 मालगुड़ी.....
दूर कहीं पहाड़ों के दरम्यां, 
सुबह जागती होगी रेल की सीटी से, 
दोपहर ज़रा अलसाई सी 
सुस्ताती होगी पुराने किले के खंडहर में, 
शाम का धुआँ दूर तक उठता तो होगा, 
रात कहीं दीये की रोशनी से 
रोशन होती तो होगी,
शायद कोई मालगुड़ी
 पहाड़ों के दरम्यां 
आज भी बसा हो.....
 मालगुड़ी.....
rajasaheb0231

Raja Saheb

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