कैसी ये उदासी है, ये कैसा रूखापन है। कहीं ख़तरा है कोराना का, कहीं उल्कापिंड का डर है। सहमी सी जमीं है ये, सहमा आसमां है। सहमें से हैं हर क़दम, सहमा सारा जहां है। Ⓜ️कुदरत का भयंकर रूपⓂ️ क्या बात है कभी विचार किया? आज मानव सभ्यता का ये हाल क्यों है? कभी चिंतन किया। चिंतन करोगे क्यूं? तुम्हारे ईश्वर, अल्लाह, ईशु, महात्मा बुद्ध, स्वामी महावीर, नानक देव जी तुम्हें बचाएंगे। तुम्हें क्या पड़ी है कुछ करने की। यही सोच रहे हो न? खूब प्रकृति का दोहन करते रहो। खूब निर्जीव जानवरों को अपना निवाला बनाते रहो। अरे जिन्हें मानते हो कभी उनके पदचिन्हों पर चलने का प्रयत्न किया है? कभी उनके उपदेशों का पालन किया है? आज जो भोग रहे हो उसी नतीज़ा है। कहीं कोराना से चिंतित हो, कह