रास्ते तो बहुत है लेकिन जाना कहा है, चलो.. जाते तो है, पर मंजिल कहा है| जिने समझा था, अपना वो तो निकला पराया है, अपनो में रहके भी हर वक्त अकेला है| सोचते हैं, जाना कहा,मंजिल कहा है किसके सहारे नया सवेरा है| ©Swati Mahendra Jadhav #शायरी मझिल काहा हे.. #safarnama