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जब हम निस्वार्थ भाव से किसी चीज की कामना करने लगते

जब हम निस्वार्थ भाव से किसी चीज की कामना करने लगते हैं, तो वह स्वतः ही हमारी और आकर्षित होने लगती हैं। और उसी के अनुकूल परिस्थितियाँ भी स्वतः ही होती चले जाती हैं। 
सबकुछ भाव के ही अधीन हैं, ईश्वर भी भाव के ही वश मे होता हैं। जिसका भाव शुद्ध और परमार्थ को साधने वाला होता हैं, उसे कभी किसी चीज की कामना करनी ही नही पड़ती।
और एक कटु सत्य यह भी हैं की, जैसे ही कोई व्यक्ति परमार्थ का मार्ग चुनता हैं, सबसे पहले उसका परिवार ही उसका विरोधी हो जाता हैं। और आश्चर्य की बात यह हैं की, परमार्थ के मार्ग पर चलने वाले की दुश्मन दुनिया हो जाती हैं, मगर ईश्वर और प्रकृति उसके अनुकूल हो जाते हैं। 
इसलिये शायद हम ना ही कर्ता हैं, ना ही कारक, हम सिर्फ निमित्त मात्र हैं। उसके कार्य के जिसने इस सकल सृष्टि की रचना की हैं।🙏🙏

©आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan  #mereprashnmerisoch जब हम निस्वार्थ भाव से किसी चीज की कामना करने लगते हैं, तो वह स्वतः ही हमारी और आकर्षित होने लगती हैं। और उसी के अनुकूल परिस्थितियाँ भी स्वतः ही होती चले जाती हैं। 
सबकुछ भाव के ही अधीन हैं, ईश्वर भी भाव के ही वश मे होता हैं। जिसका भाव शुद्ध और परमार्थ को साधने वाला होता हैं, उसे कभी किसी चीज की कामना करनी ही नही पड़ती।
और एक कटु सत्य यह भी हैं की, जैसे ही कोई व्यक्ति परमार्थ का मार्ग चुनता हैं, सबसे पहले उसका परिवार ही उसका विरोधी हो जाता हैं। और आश्चर्य की बात यह हैं की, परमार्थ के मार्ग पर चलने वाले की दुश्मन दुनिया हो जाती हैं, मगर ईश्वर और प्रकृति उसके अनुकूल हो जाते हैं। 
इसलिये शायद हम ना ही कर्ता हैं, ना ही कारक, हम सिर्फ निमित्त मात्र हैं। उसके कार्य के जिसने इस सकल सृष्टि की रचना की हैं।🙏🙏

©आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi
जब हम निस्वार्थ भाव से किसी चीज की कामना करने लगते हैं, तो वह स्वतः ही हमारी और आकर्षित होने लगती हैं। और उसी के अनुकूल परिस्थितियाँ भी स्वतः ही होती चले जाती हैं। 
सबकुछ भाव के ही अधीन हैं, ईश्वर भी भाव के ही वश मे होता हैं। जिसका भाव शुद्ध और परमार्थ को साधने वाला होता हैं, उसे कभी किसी चीज की कामना करनी ही नही पड़ती।
और एक कटु सत्य यह भी हैं की, जैसे ही कोई व्यक्ति परमार्थ का मार्ग चुनता हैं, सबसे पहले उसका परिवार ही उसका विरोधी हो जाता हैं। और आश्चर्य की बात यह हैं की, परमार्थ के मार्ग पर चलने वाले की दुश्मन दुनिया हो जाती हैं, मगर ईश्वर और प्रकृति उसके अनुकूल हो जाते हैं। 
इसलिये शायद हम ना ही कर्ता हैं, ना ही कारक, हम सिर्फ निमित्त मात्र हैं। उसके कार्य के जिसने इस सकल सृष्टि की रचना की हैं।🙏🙏

©आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan  #mereprashnmerisoch जब हम निस्वार्थ भाव से किसी चीज की कामना करने लगते हैं, तो वह स्वतः ही हमारी और आकर्षित होने लगती हैं। और उसी के अनुकूल परिस्थितियाँ भी स्वतः ही होती चले जाती हैं। 
सबकुछ भाव के ही अधीन हैं, ईश्वर भी भाव के ही वश मे होता हैं। जिसका भाव शुद्ध और परमार्थ को साधने वाला होता हैं, उसे कभी किसी चीज की कामना करनी ही नही पड़ती।
और एक कटु सत्य यह भी हैं की, जैसे ही कोई व्यक्ति परमार्थ का मार्ग चुनता हैं, सबसे पहले उसका परिवार ही उसका विरोधी हो जाता हैं। और आश्चर्य की बात यह हैं की, परमार्थ के मार्ग पर चलने वाले की दुश्मन दुनिया हो जाती हैं, मगर ईश्वर और प्रकृति उसके अनुकूल हो जाते हैं। 
इसलिये शायद हम ना ही कर्ता हैं, ना ही कारक, हम सिर्फ निमित्त मात्र हैं। उसके कार्य के जिसने इस सकल सृष्टि की रचना की हैं।🙏🙏

©आयुष पंचोली 
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