तन्हाई का आलम क्यों समेट कर रखते हो घुटन भरी ज़िन्दगी से कभी बाहर निकल कर तो देखो, क्यों थक हार कर ज़िन्दगी से अपनी मायूस हो जाना,एक दफ़ा अपने हुनर पर भी नजर डाल कर तो देखो, जिस पर कब से धुंधलाहट की परत जमीं हुई है?कभी इस परत के आईने को साफ करके तो देखो, तन्हा रह कर अपने परिवार से दूरी बना कर क्या ज़िन्दगी सारी बिता पाना संभव है? कभी अपनों से घुलने मिलने की कोशिश करके तो देखो,इतनी खूबसूरत ज़िन्दगी है कभी ज़िन्दगी से अपनी रूबरू हो कर तो देखो, कभी समंदर से गहरे गर्त सी मायूसी से बाहर निकल कर तो देखो, ♥️ Challenge-972 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।