रोज़-रोज़ = प्रतिदिन रोज-डे = गुलाब दिवस 🌹 शेष माथापच्ची अनुशीर्षक में इक रोज़ अचानक उससे मुलाकात हो गई फिर रोज़-रोज़ होने लगी इक रोज़ मैंने उसे रोज🌹 दिया जो उसने हँसकर ले लिया.. फिर तो मैं रोज़-रोज़ उसे रोज देने लगा लेकिन इक रोज़ बाज़ार में कोई रोज नहीं मिला बहुत ढूँढने से भी नहीं मिला... मैं बड़ा हताश था...