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तू कहता कागद की लेखी मैं कहता आँखिन की देखी । मैं

तू कहता कागद की लेखी मैं कहता आँखिन की देखी ।
मैं कहता सुरझावन हारि, तू राख्यौ उरझाई रे ।

तुम कागज़ पर लिखी बात को सत्य  कहते हो-तुम्हारे लिए वह सत्य है जो कागज़ पर लिखा है किन्तु मैं आंखों देखा सच ही कहता-लिखता हूँ,कबीर पढे-लिखे नहीं थे पर उनकी बातों में सच्चाई थी ! मैं सरलता से हर बात को सुलझाना चाहता हूँ –तुम उसे उलझा कर क्यों रख देते हो ? जितने सरल बनोगे  उलझन से उतने ही दूर हो पाओगे।

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' Saral
तू कहता कागद की लेखी मैं कहता आँखिन की देखी ।
मैं कहता सुरझावन हारि, तू राख्यौ उरझाई रे ।

तुम कागज़ पर लिखी बात को सत्य  कहते हो-तुम्हारे लिए वह सत्य है जो कागज़ पर लिखा है किन्तु मैं आंखों देखा सच ही कहता-लिखता हूँ,कबीर पढे-लिखे नहीं थे पर उनकी बातों में सच्चाई थी ! मैं सरलता से हर बात को सुलझाना चाहता हूँ –तुम उसे उलझा कर क्यों रख देते हो ? जितने सरल बनोगे  उलझन से उतने ही दूर हो पाओगे।

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' Saral