बसंत की बुखार से तपी हड्डियाँ थर्रा उठीं। उसे याद था, शिशिर की मौत की खबर सुनकर वृद्ध एकदम ठिठक गया था, जैसे पेड़ की ठूँठ पर एकाएक बिजली गिरती है। सदा की सहेली इंदु चिल्लाकर रो पड़ी थी और वह स्वयं पागल हो उठा था। भोला हत्बुद्धि देख रहा था, किंतु बूढ़ा ? उफ ! जैसे सदमा दरार पाकर हृदय में उतर गया था। उस दिन नींद में से चौंककर वृद्ध पहली बार भयंकरता से हँसा था। अपने बेटे का खून सुनकर हँसा था। ....... टूक टूक होते कलेजे की चटक पर हँसा था। अरे, वह गरीब अपनी अंतिम थाती को लुटते देख हँसा था? उसकी हँसी जैसे सालों की भीषण गुलामी का भयानक हाहाकार थी! #विषाद मठ #coronavirus #vishaad_math #raangey_raghav