Nojoto: Largest Storytelling Platform

सर को छुपाने को नए ठिकाने मिलें  आँखें खुले तो खु

सर को छुपाने को नए ठिकाने मिलें 

आँखें खुले तो खुशी के ज़माने मिले


महफिल जमा होती रहे मेरे दर पे बारहा 

जब भी गले मिलें तो मेरे यार पुराने मिलें


लिखता हूँ तेरा नाम मैं अब भी दीवारों पर 

खोलूँ जो मैं संदूक खतों के खजाने मिलें


तेरी गली से नाता ना टूटे कभी मेरा 

नज़रें मिलाने के हमें ताज़ा बहाने मिलें


जब शहर की गलियाँ भी मेरा साथ नहीं दें

उस पल मेरी किस्मत में नए आशियाने मिलें

©Madhu Sharma
  sar ko chupane......
madhusharma5776

Madhu Sharma

New Creator

sar ko chupane...... #Shayari

27 Views