निहायत ही इस जिंदगी से हो हिमायत, फिर कोई स्थान ही न बचें फ़क़त शिकायत। #अभिव्यक्ति_challangeज़िंदगी ज़िन्दगी जीने के सभी के अलग अलग अन्दाज़ होते हैं। किसी को ज़िन्दगी से शिक़ायत है, कोई ज़िन्दगी का हिमायती है, कोई ज़िन्दगी की रिवायतों में फँसा है, तो किसी का ज़िन्दगी जीने का अंदाज़ निहायत ही जुदा है। आज का collab ज़िन्दगी और इन्हीं चार शब्दों के ऊपर है। 1. शिक़ायत - उलाहना, complaint 2. हिमायत - तरफ़दारी, support 3. रिवायत - रूढ़िवादी बातें, tradition 4. निहायत - बहुत ज़्यादा, extreme दो पंक्तियों में आपको अपनी रचना (शेर) लिखनी है। रचना में 'ज़िन्दगी' शब्द के साथ दिए गए चार शब्दों में से किसी एक शब्द का होना अनिवार्य है।