अंजान हमसफ़र कहानी लेखन अनुशीर्षक में बात अगस्त 2004 की है जब सबने ग्रेजुएशन पूरा कर दिल्ली जाकर सिविल परीक्षाओं की तैयारी करने का प्लान बनाया। घर वालों से बात कर आरोही और बाकी चार दोस्तों ने ट्रेन में रिजर्वेशन कर जाने की तैयारी में जुट गईं।शिवगंगा एक्सप्रेस ट्रेन अपनी नियत टाइम से 6.45 बजे सीटी बजा कर बनारस स्टेशन छोड़ते हुए धीरे धीरे रफ्तार पकड़ नई दिल्ली की और बढ़ रही थी। प्लेटफार्म पर धीरे धीरे चलती ट्रेन में आरोही जल्दी से लगेज फेंक चढ़ गई। उसके बाकी चार दोस्तों ने उसको गाली देते हुए का तुम कभी नहीं सुधर सकती हमेशा की तरह आज भ