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#05अगस्त .। #ऐतिहासिक_दिन आज से ठीक एक वर्ष पहले

#05अगस्त .। #ऐतिहासिक_दिन 
आज से ठीक एक वर्ष पहले 05 अगस्त 2019 को  कश्मीर से धारा 370 हटाने के साथ ही एक अनैतिक अलगाववादी युग का अंत हुआ था .. और
आज ठीक एक साल बाद 05 अगस्त 2020 को भारतीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है... 
#श्रीरामजन्मभूमि अयोध्या में श्रीराममंदिर का निर्माण भारत के बहुसंख्य हिंदुओं के लिए अपार हर्ष का अवसर है , यह उनकी अस्मिता के लिए प्राणदायी संजीवनी की तरह है.... 
 यह अकारण नहीं है कि महामारी के काल में भी आज भारत-भावना उत्सव की चेतना से आलोकित हो उठी है......  इस धर्मधरा पर धर्मप्रेमीजन के लिए प्रभु श्रीराम का  क्या महत्व हैं, इसका भान सबको  है .. पौराणिक काल से लेकर आज तक जब भी लोग आपस मे मिलते है तो राम-राम कहते है ...  जय श्री कृष्णा और जय श्री राम भारत के लोकजीवन का अभिन्न अंग है ..  जय रामजी की में अभिवादन की सुगंध है ... भारत में हमेशा ही राम से बड़ा राम का नाम कहलाया है। राम सियाराम  जै जै राम!   रामधुन से लेकर रामनामी चादर तक राम के नाम की बड़ी महिमा रही है .....
 इसमें संदेह नहीं है कि भारत के बहुसंख्यक हिंदुओं में एक लम्बे समय से आक्रोश की यह भावना रही है कि उनके साथ न्याय नहीं किया गया और वे अपने ही देश में छले गए ,  इसका मूल धार्मिक आधार पर हुए भारत-विभाजन में था..... हिंदुओं का मत था कि भारत-विभाजन और पाकिस्तान-निर्माण के बाद भारतीय मुस्लिमों को कश्मीर और अयोध्या जैसे मसलों पर हठ का त्याग कर देना चाहिए था .....  कहना न होगा कि मुख्यधारा की बौद्धिकता ने इस आक्रोश के कारणों को समझने का उतना सदाशय प्रयास नहीं किया, जितना कि किया जाना चाहिए था........
इसके परिणामस्वरूप ही हिंदू राष्ट्रवाद की राजनीति का उदय हुआ, जो केंद्र में लगातार दो बार बहुमत से चुनाव जीतकर अब यथास्थिति बन चुकी है। सोशल मीडिया पर व्यक्त होने वाला संघर्ष भी इसी का परिणाम है.......
किंतु तथ्य यही है कि जब 30 नवम्बर 1858 को बाबरी मस्जिद के मुअज़्ज़िन मुहम्मद असग़र ने फ़िरंगियों के नाम एक प्रार्थना पत्र लिखा था, तो इस जगह को "मस्जिद-ए-जन्मस्थान" कहकर सम्बोधित किया था....
उसी जगह पर अब जब भव्य मंदिर बनने जा रहा है, तो प्रश्न यह नहीं है कि मंदिर क्यों बन रहा है ?? प्रश्न यह है कि अभी तक बना क्यों नहीं था ?? 
 खैर जो हो रहा है अच्छा हो रहा है .... 

तीन में से दो वादे एक साल में पूरे किए जा चुके हैं। आशा है समान नागरिक संहिता से विभूषित रामराज्य के भी हम शीघ्र ही साक्षी होंगे। यह सच है कि अभी मथुरा-काशी बाक़ी है, पर आज के लिए इतना काफ़ी है 
बोलो जय श्री राम ।। जय जय राम ।।

शिवपाल राजपुरोहित✍️🎤

Shivpal Rajpurohit
#05अगस्त .। #ऐतिहासिक_दिन 
आज से ठीक एक वर्ष पहले 05 अगस्त 2019 को  कश्मीर से धारा 370 हटाने के साथ ही एक अनैतिक अलगाववादी युग का अंत हुआ था .. और
आज ठीक एक साल बाद 05 अगस्त 2020 को भारतीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है... 
#श्रीरामजन्मभूमि अयोध्या में श्रीराममंदिर का निर्माण भारत के बहुसंख्य हिंदुओं के लिए अपार हर्ष का अवसर है , यह उनकी अस्मिता के लिए प्राणदायी संजीवनी की तरह है.... 
 यह अकारण नहीं है कि महामारी के काल में भी आज भारत-भावना उत्सव की चेतना से आलोकित हो उठी है......  इस धर्मधरा पर धर्मप्रेमीजन के लिए प्रभु श्रीराम का  क्या महत्व हैं, इसका भान सबको  है .. पौराणिक काल से लेकर आज तक जब भी लोग आपस मे मिलते है तो राम-राम कहते है ...  जय श्री कृष्णा और जय श्री राम भारत के लोकजीवन का अभिन्न अंग है ..  जय रामजी की में अभिवादन की सुगंध है ... भारत में हमेशा ही राम से बड़ा राम का नाम कहलाया है। राम सियाराम  जै जै राम!   रामधुन से लेकर रामनामी चादर तक राम के नाम की बड़ी महिमा रही है .....
 इसमें संदेह नहीं है कि भारत के बहुसंख्यक हिंदुओं में एक लम्बे समय से आक्रोश की यह भावना रही है कि उनके साथ न्याय नहीं किया गया और वे अपने ही देश में छले गए ,  इसका मूल धार्मिक आधार पर हुए भारत-विभाजन में था..... हिंदुओं का मत था कि भारत-विभाजन और पाकिस्तान-निर्माण के बाद भारतीय मुस्लिमों को कश्मीर और अयोध्या जैसे मसलों पर हठ का त्याग कर देना चाहिए था .....  कहना न होगा कि मुख्यधारा की बौद्धिकता ने इस आक्रोश के कारणों को समझने का उतना सदाशय प्रयास नहीं किया, जितना कि किया जाना चाहिए था........
इसके परिणामस्वरूप ही हिंदू राष्ट्रवाद की राजनीति का उदय हुआ, जो केंद्र में लगातार दो बार बहुमत से चुनाव जीतकर अब यथास्थिति बन चुकी है। सोशल मीडिया पर व्यक्त होने वाला संघर्ष भी इसी का परिणाम है.......
किंतु तथ्य यही है कि जब 30 नवम्बर 1858 को बाबरी मस्जिद के मुअज़्ज़िन मुहम्मद असग़र ने फ़िरंगियों के नाम एक प्रार्थना पत्र लिखा था, तो इस जगह को "मस्जिद-ए-जन्मस्थान" कहकर सम्बोधित किया था....
उसी जगह पर अब जब भव्य मंदिर बनने जा रहा है, तो प्रश्न यह नहीं है कि मंदिर क्यों बन रहा है ?? प्रश्न यह है कि अभी तक बना क्यों नहीं था ?? 
 खैर जो हो रहा है अच्छा हो रहा है .... 

तीन में से दो वादे एक साल में पूरे किए जा चुके हैं। आशा है समान नागरिक संहिता से विभूषित रामराज्य के भी हम शीघ्र ही साक्षी होंगे। यह सच है कि अभी मथुरा-काशी बाक़ी है, पर आज के लिए इतना काफ़ी है 
बोलो जय श्री राम ।। जय जय राम ।।

शिवपाल राजपुरोहित✍️🎤

Shivpal Rajpurohit